ACS Swasthya Ki Chaabi-Joshi & Choudhary Book -Hindi

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सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ Jump to navigationJump to searchW ने सनॠ१९४८ में सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯Â à¤¯à¤¾Â à¤†à¤°à¥‹à¤—à¥à¤¯Â à¤•ी निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤–ित à

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सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯

Jump to navigationJump to searchW ने सनॠ१९४८ में सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯Â à¤¯à¤¾Â à¤†à¤°à¥‹à¤—à¥à¤¯Â à¤•ी निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤–ित परिभाषा दी:

दैहिक, मानसिक और सामाजिक रूप से पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ होना (समसà¥à¤¯à¤¾-विहीन होना) [1]

सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ सिरà¥à¤« बीमारियों की अनà¥à¤ªà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ का नाम नहीं है। हमें सरà¥à¤µà¤¾à¤‚गीण सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ के बारे में जानकारी होना बोहोत आवशà¥à¤¯à¤• है। सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ का अरà¥à¤¥ विभिनà¥à¤¨ लोगों के लिठअलग-अलग होता है। लेकिन अगर हम à¤à¤• सारà¥à¤µà¤­à¥Œà¤®à¤¿à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•ोण की बात करें तो अपने आपको सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ कहने का यह अरà¥à¤¥ होता है कि हम अपने जीवन में आनेवाली सभी सामाजिक, शारीरिक और भावनातà¥à¤®à¤• चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤¬à¤‚धन करने में सफलतापूरà¥à¤µà¤• सकà¥à¤·à¤® हों। वैसे तो आज के समय मे अपने आपको सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ रखने के ढेर सारी आधà¥à¤¨à¤¿à¤• तकनीक मौजूद हो चà¥à¤•ी हैं, लेकिन ये सारी उतनी अधिक कारगर नहीं हैं।

समगà¥à¤° सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ की परिभाषा

विशà¥à¤µ सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ संगठन के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ सिरà¥à¤« रोग या दà¥à¤°à¥à¤¬à¤²à¤¤à¤¾ की अनà¥à¤ªà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ ही नहीं बलà¥à¤•ि à¤à¤• पूरà¥à¤£ शारीरिक, मानसिक और सामाजिक खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤²à¥€ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ है। सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ लोग रोजमरà¥à¤°à¤¾ की गतिविधियों से निपटने के लिठऔर किसी भी परिवेश के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• अपना अनà¥à¤•ूलन करने में सकà¥à¤·à¤® होते हैं। रोग की अनà¥à¤ªà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ à¤à¤• वांछनीय सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ है लेकिन यह सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ को पूरà¥à¤£à¤¤à¤¯à¤¾ परिभाषित नहीं करता है। यह सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ के लिठà¤à¤• कसौटी नहीं है और इसे अकेले सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के लिठपरà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ भी नहीं माना जा सकता है। लेकिन सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ होने का वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• अरà¥à¤¥ अपने आप पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ केंदà¥à¤°à¤¿à¤¤ करते हà¥à¤ जीवन जीने के सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ तरीकों को अपनाया जाना है।

यदि हम à¤à¤• अभिनà¥à¤¨ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ की इचà¥à¤›à¤¾ रखते हैं तो हमें हर हमेशा खà¥à¤¶ रहना चाहिठऔर मन में इस बात का भी धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखना चाहिठकि सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ के आयाम अलग अलग टà¥à¤•ड़ों की तरह है। अतः अगर हम अपने जीवन को कोई अरà¥à¤¥ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करना चाहते है तो हमें सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ के इन विभिनà¥à¤¨ आयामों को à¤à¤• साथ फिट करना पड़ेगा। वासà¥à¤¤à¤µ में, अचà¥à¤›à¥‡ सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ समगà¥à¤° सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ का नाम है जिसमें शारीरिक सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯, मानसिक सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ , बौदà¥à¤§à¤¿à¤• सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯, आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ और सामाजिक सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ भी शामिल है।

शारीरिक सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯

शारीरिक सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ शरीर की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ को दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¤¾ है जिसमें इसकी संरचना, विकास, कारà¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ और रखरखाव शामिल होता है। यह à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का सभी पहलà¥à¤“ं को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखते हà¥à¤ à¤à¤• सामानà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ है। यह à¤à¤• जीव के कारà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• और/या चयापचय कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ का à¤à¤• सà¥à¤¤à¤° भी है। अचà¥à¤›à¥‡ शारीरिक सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ को सà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤ करने के निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤–ित कà¥à¤› तरीके हैं-

  • (1) संतà¥à¤²à¤¿à¤¤ आहार की आदतें, मीठी शà¥à¤µà¤¾à¤¸ व गहरी नींद
  • (2) बड़ी आंत की नियमित गतिविधि व संतà¥à¤²à¤¿à¤¤ शारीरिक गतिविधियां
  • (3) नाड़ी सà¥à¤ªà¤‚दन, रकà¥à¤¤à¤¦à¤¾à¤¬, शरीर का भार व वà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤® सहनशीलता आदि सब कà¥à¤› वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के आकार, आयॠव लिंग के लिठसामानà¥à¤¯ मानकों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° होना चाहिà¤à¥¤
  • (4) शरीर के सभी अंग सामानà¥à¤¯ आकार के हों तथा उचित रूप से कारà¥à¤¯ कर रहे हों।

मानसिक सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯

मानसिक सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ का अरà¥à¤¥ हमारे भावनातà¥à¤®à¤• और आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• लचीलेपन से है जो हमें अपने जीवन में दरà¥à¤¦, निराशा और उदासी की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में जीवित रहने के लिठसकà¥à¤·à¤® बनाती है। मानसिक सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ हमारी भावनाओं को वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ करने और जीवन की ढ़ेर सारी माà¤à¤—ों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अनà¥à¤•ूलन की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ है। इसे अचà¥à¤›à¤¾ बनाठरखने के निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤–ित कà¥à¤› तरीके हैं-

  • (1) पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾, शांति व वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° में पà¥à¤°à¤«à¥à¤²à¥à¤²à¤¤à¤¾
  • (2) आतà¥à¤®-संतà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ (आतà¥à¤®-भरà¥à¤¤à¥à¤¸à¤¨à¤¾ या आतà¥à¤®-दया की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ न हो।)
  • (3) भीतर ही भीतर कोई भावातà¥à¤®à¤• संघरà¥à¤· न हो (सदैव सà¥à¤µà¤¯à¤‚ से यà¥à¤¦à¥à¤§à¤°à¤¤ होने का भाव न हो।)
  • (4) मन की संतà¥à¤²à¤¿à¤¤ अवसà¥à¤¥à¤¾à¥¤

बौदà¥à¤§à¤¿à¤• सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯

यह किसी के भी जीवन को बढ़ाने के लिठकौशल और जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को विकसित करने के लिठसंजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ है। हमारी बौदà¥à¤§à¤¿à¤• कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ हमारी रचनातà¥à¤®à¤•ता को पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ और हमारे निरà¥à¤£à¤¯ लेने की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ में सà¥à¤§à¤¾à¤° करने में मदद करता है।

  • (1) समायोजन करने वाली बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿, आलोचना को सà¥à¤µà¥€à¤•ार कर सके व आसानी से वà¥à¤¯à¤¥à¤¿à¤¤ न हो।
  • (2) दूसरों की भावातà¥à¤®à¤• आवशà¥à¤¯à¤•ताओं की समà¤, सभी पà¥à¤°à¤•ार के वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ में शिषà¥à¤Ÿ रहना व दूसरों की आवशà¥à¤¯à¤•ताओं को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखना, नठविचारों के लिठखà¥à¤²à¤¾à¤ªà¤¨, उचà¥à¤š भावातà¥à¤®à¤• बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¥¤
  • (3) आतà¥à¤®-संयम, भय, कà¥à¤°à¥‹à¤§, मोह, जलन, अपराधबोध या चिंता के वश में न हो। लोभ के वश में न हो तथा समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का सामना करने व उनका बौदà¥à¤§à¤¿à¤• समाधान तलाशने में निपà¥à¤£ हो।

आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯

हमारा अचà¥à¤›à¤¾ सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• रूप से सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ हà¥à¤ बिना अधूरा है। जीवन के अरà¥à¤¥ और उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ की तलाश करना हमें आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• बनाता है। आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ हमारे निजी मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं और मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¤¾ है। अचà¥à¤›à¥‡ आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने का कोई निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ तरीका नहीं है। यह हमारे असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ की समठके बारे में अपने अंदर गहराई से देखने का à¤à¤• तरीका है।

  • (1) समà¥à¤šà¤¿à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ तथा सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को à¤à¤• आतà¥à¤®à¤¾ के रूप में जानने का निरंतर बोध। सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® डॉकà¥à¤Ÿà¤° के निरंतर संपरà¥à¤• में रहना। सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को जानने व अनà¥à¤­à¤µ करने वाली आतà¥à¤®à¤¾ सदैव शांत व पवितà¥à¤° होगी।
  • (2) अपने शरीर सहित इस भौतिक जगत की किसी भी वसà¥à¤¤à¥ से मोह न रखना। दूसरी आतà¥à¤®à¤¾à¤“ं के पà¥à¤°à¤­à¤¾à¤µ में आठबिना उनसे भाईचारे का नाता रखना। इस पà¥à¤°à¤•ार à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के करà¥à¤® उनà¥à¤¨à¤¤ होंगे तथा उचà¥à¤šà¤¸à¥à¤¤à¤°à¥€à¤¯ व विशिषà¥à¤Ÿ हो पाà¤à¤‚गे।
  • (3) सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® डॉकà¥à¤Ÿà¤° या सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š आतà¥à¤®à¤¾ से निरंतर बौदà¥à¤§à¤¿à¤• संपà¥à¤°à¥‡à¤·à¤£ ताकि सकारातà¥à¤®à¤• ऊरà¥à¤œà¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर विशà¥à¤¦à¥à¤§ करà¥à¤® की ओर पà¥à¤°à¥‡à¤·à¤¿à¤¤ की जा सके। आतà¥à¤®à¤¾ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को तथा दूसरों को विनीत, अनशà¥à¤µà¤° तथा दà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤£à¤°à¤¹à¤¿à¤¤ पाà¤à¤—ी। उसे कोई भी सांसारिक बाधा तà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ नहीं कर सकती।

सामाजिक सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯

चूà¤à¤•ि हम सामाजिक जीव हैं अतः संतोषजनक रिशà¥à¤¤à¥‡ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करना और उसे बनाठरखना हमें सà¥à¤µà¤¾à¤­à¤¾à¤µà¤¿à¤• रूप से आता है। सामाजिक रूप से सबके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤µà¥€à¤•ार किया जाना हमारे भावनातà¥à¤®à¤• खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤²à¥€ के लिठअचà¥à¤›à¥€ तरह जà¥à¤¡à¤¼à¤¾ हà¥à¤† है।

  • (1) à¤à¤¸à¥€ मितà¥à¤°à¤¤à¤¾ करें जो संतोषपà¥à¤°à¤¦ व दीरà¥à¤˜à¤•ालिक हो।
  • (2) परिवार व समाज से जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ संबंधों को हारà¥à¤¦à¤¿à¤• व अकà¥à¤·à¥à¤£à¥à¤£ बनाठरखें
  • (3) अपनी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° समाज के कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के लिठकारà¥à¤¯ करना।

अधिकांश लोग अचà¥à¤›à¥‡ सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ के महतà¥à¤¤à¥à¤µ को नहीं समà¤à¤¤à¥‡ हैं और अगर समà¤à¤¤à¥‡ भी हैं तो वे अभी तक इसकी उपेकà¥à¤·à¤¾ कर रहे हैं। हम जब भी सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ की बात करते हैं तो हमारा धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ शारीरिक सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ तक ही सीमित रहता है। हम बाकी आयामों के बारे में नहीं सोचते हैं। अचà¥à¤›à¥‡ सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ की आवशà¥à¤¯à¤•ता हम सबको है। यह किसी à¤à¤• विशेष धरà¥à¤®, जाति, संपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ या लिंग तक सीमित नहीं है। अतः हमें इस आवशà¥à¤¯à¤• वसà¥à¤¤à¥ के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिà¤à¥¤ अधिकांश रोगों का मूल हमारे मन में होता है। à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ तब कहा जाता है जब उसका शरीर सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ और मन साफ और शांत हो। कà¥à¤› लोगों के पास भौतिक साधनों की कमी नहीं होती है फिर भी वे दà¥à¤ƒà¤–ी या मनोवैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• सà¥à¤¤à¤° पर उतà¥à¤¤à¥‡à¤œà¤¿à¤¤ हो सकते।

आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ की परिभाषा

आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ में सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की परिभाषा इस पà¥à¤°à¤•ार बताई है-

समदोषः समागà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤š समधातॠमलकà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤ƒà¥¤

पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤®à¤¨à¤¾à¤ƒ सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤ƒ इतà¥à¤¯à¤­à¤¿à¤§à¥€à¤¯à¤¤à¥‡ ॥

( जिस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के दोष (वात, कफ और पितà¥à¤¤) समान हों, अगà¥à¤¨à¤¿ सम हो, सात धातà¥à¤¯à¥‡à¤‚ भी सम हों, तथा मल भी सम हो, शरीर की सभी कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ समान कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ करें, इसके अलावा मन, सभी इंदà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤ तथा आतà¥à¤®à¤¾ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हो, वह मनà¥à¤·à¥à¤¯ सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ कहलाता है )। यहाठ‘सम’ का अरà¥à¤¥ ‘संतà¥à¤²à¤¿à¤¤’ ( न बहà¥à¤¤ अधिक न बहà¥à¤¤ कम) है।

ACHARYA  CHARAK  के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ की परिभाषा-

सममांसपà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¸à¥à¤¤à¥ समसंहननो नरः।

दृढेनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹ विकाराणां न बलेनाभिभूयते॥१८॥

कà¥à¤·à¥à¤¤à¥à¤ªà¤¿à¤ªà¤¾à¤¸à¤¾à¤¤à¤ªà¤¸à¤¹à¤ƒ शीतवà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤®à¤¸à¤‚सहः।

समपकà¥à¤¤à¤¾ समजरः सममांसचयो मतः॥१९॥

अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ जिस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का मांस धातॠसमपà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ में हो, जिसका शारीरिक गठन समपà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ में हो, जिसकी इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤ थकान से रहित सà¥à¤¦à¥ƒà¤¢à¤¼ हों, रोगों का बल जिसको पराजित न कर सके, जिसका वà¥à¤¯à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¥à¤· समतà¥à¤µ बल बढ़ा हà¥à¤† हो, जिसका शरीर भूख, पà¥à¤¯à¤¾à¤¸, धूप, शकà¥à¤¤à¤¿ को सहन कर सके, जिसका शरीर वà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤® को सहन कर सके , जिसकी पाचनशकà¥à¤¤à¤¿ (जठरागà¥à¤¨à¤¿) सम़ावसà¥à¤¥à¤¼à¤¾ में क़ारà¥à¤¯ करती हो, निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ कालानà¥à¤¸à¤¾à¤° ही जिसका बà¥à¤¢à¤¼à¤¾à¤ªà¤¾ आये, जिसमें मांसादि की चय-उपचय कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤à¤ सम़ान होती हों – à¤à¤¸à¥‡ १० लकà¥à¤·à¤£à¥‹ लकà¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ व़ाले वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को आचारà¥à¤¯ चरक ने सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ माना है।

काशà¥à¤¯à¤ªà¤¸à¤‚हिता के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° आरोगà¥à¤¯ के लकà¥à¤·à¤£-

अनà¥à¤¨à¤¾à¤­à¤¿à¤²à¤¾à¤·à¥‹ भà¥à¤•à¥à¤¤à¤¸à¥à¤¯ परिपाकः सà¥à¤–ेन च ।

सृषà¥à¤Ÿà¤µà¤¿à¤£à¥à¤®à¥‚तà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¤à¤¤à¥à¤µà¤‚ शरीरसà¥à¤¯ च लाघवमॠ॥

सà¥à¤ªà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¤à¥à¤µà¤‚ च सà¥à¤–सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ पà¥à¤°à¤¬à¥‹à¤§à¤¨à¤®à¥ ।

बलवरà¥à¤£à¤¾à¤¯à¥à¤·à¤¾à¤‚ लाभः सौमनसà¥à¤¯à¤‚ समागà¥à¤¨à¤¿à¤¤à¤¾ ॥

विदà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥ आरोगà¥à¤¯à¤²à¤¿à¤‚ङà¥à¤—ानि विपरीते विपरà¥à¤¯à¤¯à¤®à¥ । – ( काशà¥à¤¯à¤ªà¤¸à¤‚हिता, खिलसà¥à¤¥à¤¾à¤¨, पञà¥à¤šà¤®à¥‹à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤ƒ )

भोजन करने की इचà¥à¤›à¤¾, अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ भूख समय पर लगती हो, भोजन ठीक से पचता हो, मलमूतà¥à¤° और वायॠके निषà¥à¤•ासन उचित रूप से होते हों, शरीर में हलकापन à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤«à¥‚रà¥à¤¤à¤¿ रहती हो, इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ रहतीं हों, मन की सदा पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ हो, सà¥à¤–पूरà¥à¤µà¤• रातà¥à¤°à¤¿ में शयन करता हो, सà¥à¤–पूरà¥à¤µà¤• बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤®à¥à¤¹à¥‚रà¥à¤¤ में जागता हो; बल, वरà¥à¤£ à¤à¤µà¤‚ आयॠका लाभ मिलता हो, जिसकी पाचक-अगà¥à¤¨à¤¿ न अधिक हो न कम, उकà¥à¤¤ लकà¥à¤·à¤£ हो तो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ निरोगी है अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ रोगी है।

सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ की  AYURVEDA   समà¥à¤®à¤¤ अवधारणा बहà¥à¤¤ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• है। आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ में सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ की अवसà¥à¤¥à¤¾ को पà¥à¤°à¤•ृति (पà¥à¤°à¤•ृति अथवा मानवीय गठन में पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक सामंजसà¥à¤¯) और असà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ या रोग की अवसà¥à¤¥à¤¾ को विकृति (पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक सामंजसà¥à¤¯ से बिगाड़) कहा जाता है। चिकितà¥à¤¸à¤• का कारà¥à¤¯ रोगातà¥à¤®à¤• चकà¥à¤° में हसà¥à¤¤à¤•à¥à¤·à¥‡à¤ª करके पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक सनà¥à¤¤à¥à¤²à¤¨ को कायम करना और उचित आहार और औषधि की सहायता से सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ को दà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ करना है। औषधि का कारà¥à¤¯ खोठहà¥à¤ सनà¥à¤¤à¥à¤²à¤¨ को फिर से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के लिठपà¥à¤°à¤•ृति की सहायता करना है। आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¿à¤• मनीषियों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° उपचार सà¥à¤µà¤¯à¤‚ पà¥à¤°à¤•ृति से पà¥à¤°à¤­à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होता है, चिकितà¥à¤¸à¤• और औषधि इस पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ में सहायता-भर करते हैं।

सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ के नियम आधारभूत बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤‚डीय à¤à¤•ता पर निरà¥à¤­à¤° है। बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤‚ड à¤à¤• सकà¥à¤°à¤¿à¤¯ इकाई है, जहाठपà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वसà¥à¤¤à¥ निरनà¥à¤¤à¤° परिवरà¥à¤¤à¤¿à¤¤ होती रहती है; कà¥à¤› भी अकारण और अकसà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥ नहीं होता और पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• कारà¥à¤¯ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ और उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ हà¥à¤† करता है। सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ को वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के सà¥à¤µ और उसके परिवेश से तालमेल के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। विकृति या रोग होने का कारण वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के सà¥à¤µ का बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤‚ड के नियमों से ताल-मेल न होना है।

आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ का करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है, देह का पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक सनà¥à¤¤à¥à¤²à¤¨ बनाठरखना और शेष विशà¥à¤µ से उसका ताल-मेल बनाना। रोग की अवसà¥à¤¥à¤¾ में, इसका करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ उपतनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के विकास को रोकने के लिठशीघà¥à¤° हसà¥à¤¤à¤•à¥à¤·à¥‡à¤ª करना और देह के सनà¥à¤¤à¥à¤²à¤¨ को पà¥à¤¨: संचित करना है। पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤­à¤¿à¤• अवसà¥à¤¥à¤¾ में रोग समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥€ ततà¥à¤¤à¥à¤µ असà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥€ होते हैं और साधारण अभà¥à¤¯à¤¾à¤¸ से पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक सनà¥à¤¤à¥à¤²à¤¨ को फिर से कायम किया जा सकता है।

यह समà¥à¤­à¤µ है कि आप सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ समà¤à¤¤à¥‡ हों, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि आपका शारीरिक रचनातनà¥à¤¤à¥à¤° ठीक ढंग से कारà¥à¤¯ करता है, फिर भी आप विकृति की अवसà¥à¤¥à¤¾ में हो सकते हैं अगर आप असनà¥à¤¤à¥à¤·à¥à¤Ÿ हों, शीघà¥à¤° कà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ हो जाते हों, चिड़चिड़ापन या बेचैनी महसूस करते हों, गहरी नींद न ले पाते हों, आसानी से फारिग न हो पाते हों, उबासियाठबहà¥à¤¤ आती हों, या लगातार हिचकियाठआती हो, इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿à¥¤

सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के शरीर में पंच महाभूत, आयà¥, बल à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤•ृति के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° योगà¥à¤¯ मातà¥à¤°à¤¾ में रहते हैं। इससे पाचन कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ ठीक पà¥à¤°à¤•ार से कारà¥à¤¯ करती है। आहार का पाचन होता है और रस, रकà¥à¤¤, माà¤à¤¸, मेद, असà¥à¤¥à¤¿, मजà¥à¤œà¤¾ और शà¥à¤•à¥à¤° इन सातों धातà¥à¤“ं का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ ठीक पà¥à¤°à¤•ार से होता है। इससे मल, मूतà¥à¤° और सà¥à¤µà¥‡à¤¦ का निरà¥à¤¹à¤°à¤£ भी ठीक पà¥à¤°à¤•ार से होता है।

सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ की रकà¥à¤·à¤¾Â à¤•रने के उपाय बताते हà¥à¤ आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ कहता है-

तà¥à¤°à¤¯ उपसà¥à¤¤à¤®à¥à¤­à¤¾: आहार: सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨à¥‹ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯à¤®à¤¿à¤¤à¤¿Â (चरक संहिता सूतà¥à¤°. 11/35)

अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ शरीर और सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ को सà¥à¤¥à¤¿à¤°, सà¥à¤¦à¥ƒà¤¢à¤¼ और उतà¥à¤¤à¤® बनाये रखने के लिठआहार, सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ (निदà¥à¤°à¤¾) और बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯ – ये तीन उपसà¥à¤¤à¤®à¥à¤­ हैं। ‘उप’ यानी सहायक और ‘सà¥à¤¤à¤®à¥à¤­â€™ यानी खमà¥à¤­à¤¾à¥¤ इन तीनों उप सà¥à¤¤à¤®à¥à¤­à¥‹à¤‚ का यथा विधि सेवन करने से ही शरीर और सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ की रकà¥à¤·à¤¾ होती है।

इसी के साथ शरीर को बीमार करने वाले कारणों की भी चरà¥à¤šà¤¾ की गई है यथा-

धी धृति सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ विभà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿ: करà¥à¤®à¤¯à¤¤à¥ कà¥à¤°à¥à¤¤à¤½à¤¶à¥à¤­à¤®à¥à¥¤

पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤°à¤¾à¤§à¤‚ तं विदà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤‚ सरà¥à¤µà¤¦à¥‹à¤· पà¥à¤°à¤•ोपणमà¥à¥¥Â — (चरक संहिता; शरीर. 1/102)

अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥Â à¤§à¥€Â (बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿), धृति (धारण करने की कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾, गà¥à¤£ या शकà¥à¤¤à¤¿/धैरà¥à¤¯) और सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿Â (सà¥à¤®à¤°à¤£ शकà¥à¤¤à¤¿) के भà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿ हो जाने पर मनà¥à¤·à¥à¤¯ जब अशà¥à¤­ करà¥à¤® करता है तब सभी शारीरिक और मानसिक दोष पà¥à¤°à¤•à¥à¤ªà¤¿à¤¤ हो जाते हैं। इन अशà¥à¤­ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤°à¤¾à¤§ कहा जाता है। जो पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤°à¤¾à¤§ करेगा उसके शरीर और सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ की हानि होगी और वह रोगगà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ हो ही जाà¤à¤—ा।

सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ का आधà¥à¤¨à¤¿à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•ोण

सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ की देखभाल का आधà¥à¤¨à¤¿à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•ोण आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ के समगà¥à¤° दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•ोण के विपरीत है; अलग-अलग नियमों पर आधारित है और पूरी तरह से विभाजित है। इसमें मानव-शरीर की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ मशीन के रूप में की गई है जिसके अलग-अलग भागों का विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ किया जा सकता है। रोग को शरीर रूपी मशीन के किसी पà¥à¤°à¤œà¥‡ में खराबी के तौर पर देखा जाता है। देह की विभिनà¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं को जैविकीय और आणविक सà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ पर समà¤à¤¾ जाता है और उपचार के लिà¤, देह और मानस को दो अलग-अलग सतà¥à¤¤à¤¾ के रूप में देखा जाता है।

Weight

300 Gm

Dimensions

22*14*1 Cm